कहने को सब यहाँ,अपने खास –म खास ,
रिश्ते हैं ये मतलब के बाकी सब बकवास ॥
मतलब हो तो ”तुम ”भी ”आप ” होजाता है ,
नही तो रिश्ता रिसते–रिसते रिस जाता है ॥
मतलब होतो खून का कोई नही है भेद ,
नही तो अपना खून भी हो जाय सफ़ेद ॥
मतलब हो तो दिख जाए हो चाहे जितनी दूर ,
पलकों के नीचे न दिखे ,लाख कोशिस करो हजूर ॥
” कमलेश” मतलब से न करो ,प्यार प्रेम परिहास ,
मत ”लब ” खोलो फालतू ,जहाँ हो अति विस्वास ॥